अंधाधुन फिल्म रिव्यु (2018)

Reading Time: 5 minutes

एक पियानो, कई रहस्य !

फिल्म अंधाधुन में आयुष्मान खुराना और राधिका आप्टे
फिल्म अंधाधुन में आयुष्मान खुराना और राधिका आप्टे

प्लॉट: यह फिल्म एक अंधे लड़के की कहानी पर बनी है जो पियानो बजाता है और थोड़ा बहुत कमा लेता है Franco Bar में वह पियानो बजा रहा होता है जहां पर उसकी मुलाकात एक पापुलर एक्टर से होती है वह उसको अपने घर प्राइवेट कंसर्ट के लिए अपनी वेडिंग एनिवर्सरी पर आमंत्रित करता है वहां पहुंचने पर वह एक ऐसा हादसा देखता है जो उसकी पूरी जिंदगी बदल देता है क्या वह लड़का अंधा होने का नाटक कर रहा है या सच में अंधा है? क्या वह जाल में फंस गया है और अपने आप को कैसे बचाएगा ? और खरगोश का इस्तेमाल क्यों किया गया सब जानने के लिए मूवी देखें|

थीम और टोन: इस फिल्म की टोन क्राइम थ्रिलर है और थीम सस्पेंस एंड मिस्ट्री है जो की एक फ्रेंच शॉर्ट फिल्म L’Accordeur ( The Piano Tuner) 2010 पर आधारित है मूवी इतनी शानदार बन पड़ी है इसको बनाने का उद्देश्य है कि यह सस्पेंस थ्रिलर फिल्मों की बाप कही जाए|

एक्टिंग एंड कैरक्टर्स: आकाश के रोल में आयुष्मान खुराना ने क्या जबरदस्त,जानदार और शानदार अभिनय किया है यह उनके अब तक के करियर का सबसे मुश्किल किरदार है एक अंधे के रोल को निभाना इतना आसान नहीं होता पर उन्होंने इसे निभाने के लिए बहुत मेहनत की है उन्होंने अपने रोल में पूरी संपूर्ण लाते हुए बहुत ही बढ़िया अभिनय किया है इस रोल के लिए उनको बेस्ट एक्टर (क्रिटिक) फिल्मफेयर अवार्ड और नेशनल अवार्ड, मिला है, इतनी बड़ी उपलब्धि उनको अपने फिल्मी करियर के 8 सालों के बाद ही मिल गई, पूरी मूवी ही उनके कंधों पर टिकी हुई है उनके अभिनय में जो नयापन और नया रूप हमने देखा है वह कमाल का है बिल्कुल अलग किस्म का रोल निभाकर उन्होंने साबित कर दिया कि उनको कोई भी रोल दे दो वह पूरी ईमानदार के साथ निभा देंगे|

सिमी के रोल में तब्बू ने भी बहुत अलग तरह का अभिनय किया लेकिन देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि ऐसा रोल और अभिनय वह पिछली फिल्मों में कर चुकी है पर फिर भी उन्होंने भी पूरा साथ दिया एक अलग तरह के रोल में जान डालने के लिए| वह एक मंझी हुई कलाकार है उनका कोई मुकाबला नहीं है सोफी के रोल में राधिका आप्टे को जो भी रोल मिला उन्होंने वह अच्छे से कुछ नया करके निभा दिया उनका छोटा सा रोल है पर उन्होंने अच्छा काम किया| सपोर्टिंग कास्ट में मानव विज, अश्विनी केलसेकर और फ्रेंडली अपीयरेंस में अनिल धवन जो काफी दिनों के बाद पर्दे पर दिखाई दिए ने भी ठीक ठाक अभिनय किया है| जाकिर हुसैन ने भी अच्छा साथ दिया कहानी को आगे बढ़ाने में|

डायरेक्शन: फिल्म के निर्देशक श्रीराम राघवन किसी पहचान और परिचय के मोहताज नहीं है वह सस्पेंस थ्रिलर फिल्में बनाने के मास्टर कहे जाते हैं चाहे उनकी पहली फिल्म एक हसीना थी (2004)| इसके बाद जॉनी गद्दार(2007), एजेंट विनोद(2012) या बदलापुर(2015) हो सभी फिल्मों को उन्होंने जिस तरह से निर्देशित किया, इनमें से कुछ फिल्में कमर्शियली हिट्स है और कुछ critically aclaimed है, हम इस मूवी से भी यही एक्सपेक्ट कर रहे थे जो कि वह 100% हमारी उम्मीदों पर खरे उतरे| उनका निर्देशित करने का एक यूनिक स्टाइल है जो फिल्म इंडस्ट्री के हर डायरेक्टर में नहीं है| हर डिपार्टमेंट में उनकी मजबूती साफ झलकती है इस साल के सभी बड़े अवार्ड में मूवी को काफी सारे अवार्ड मिल सकते है जैसे फिल्मफेयर अवार्ड्स, नेशनल अवार्ड्स, स्क्रीन अवार्ड्स, आइफा अवार्ड्स आदि| मूवी को कैसे फिल्माना है पात्रों से अभिनय कैसे निकलवाना, वह बखूबी जानते है यह सब उनके निर्देशन कला में कूट कूट के भरा हुआ है|

स्टोरी स्क्रीनप्ले डायलॉग: इस डिपार्टमेंट में श्रीराम राघव ने बहुत ज्यादा मेहनत की है और उनकी पहली मूवी से ही उनकी साथी रही पूजा लाढा सूरती इस मूवी में भी कमाल कर गई और साथ में श्रीराम राघवन, अरिजीत बिस्वास, योगेश चांदेकर, हेमंत एम राव ने भी बहुत ही बढ़िया स्टोरी स्क्रीनप्ले और डायलॉग लिखने में साथ निभाया और मुझे कहीं से भी एक गलती भी पकड़ में नहीं आती| बहुत ही layered स्क्रीनप्ले लिखा है|

एडिटर: पूजा लाढा सूरती की एडिटिंग बहुत ही जबरदस्त है जो श्रीराम राघवन की हर मूवी से जुड़ी हुई है शुरू से लेकर अंत तक मूवी फ़ास्ट पेस चलती है कहीं से भी बोर नहीं करती और देखते देखते पता ही नहीं चलता कब खत्म हो गई|

म्यूजिक: अमित त्रिवेदी का म्यूजिक बहुत ही बढ़िया बन पड़ा है तीन-चार गाने बहुत अच्छे बन पड़े हैं

जैसे नैना दा क्या कसूर, लैला लैला, वो लड़की और अंधाधुन पार्ट 1,2,3, बहुत ही सुरीला संगीत बनाया है

बैकग्राउंड स्कोर: इस तरह की फिल्म में अगर बैकग्राउंड स्कोर अगर कमजोर होता तो मूवी वैसी नहीं बन पाती

जैसी अब बनी है मूवी देखते वक़्त आपको कुछ अलग तरह का फील होता है बैकग्राउंड स्कोर को सुनते हुए

और सबसे बड़ी USP है बहुत ही अलग किस्म का बैकग्राउंड स्कोर डेनियल बी जॉर्ज ने बनाया है|

सिनेमेटोग्राफी: के यू मोहनन ने सिनेमेटोग्राफी बहुत बढ़िया तरीके से की है

उन्होंने कहानी और निर्देशक की क्रिएटिविटी को अच्छे से पर्दे पर उतारा है बहुत ही शानदार सिनेमैटोग्राफी कहीं जा सकती है

लिरिक्स: जयदीप साहनी के लिखे हुए गीत भी बहुत ही अच्छे लिखे गए हैं|

प्रोडक्शन डिजाइन: स्निग्धा पंकज, अनीता डोनाल्ड का प्रोडक्शन डिज़ाइन बहुत ही बढ़िया बन पड़ा है बहुत अच्छी फील देता है|

ओपिनियन: मस्ट मस्ट मस्ट मस्ट वॉच| जितनी बार देखो उतनी बार कम है बार-बार देख सकते है|

क्लाइमेक्स: क्लाइमेक्स बहुत ही शानदार बनाया गया है

ऐसा क्लाइमेक्स हम बहुत दिनों के बाद किसी मूवी में देख रहे हैं अलग हट कर|

ऐसा क्लाइमेक्स उनकी एक हसीना थी (2004) मूवी का भी है |

Flaws: अंत में थोड़ी सी क्लेरिटी फिल्म में नहीं है मानव विज का लिफ्ट के बाद क्या होता है

और आकाश सही मायने में अंधा होता है कि वह अंधे होने का नाटक करता है यह भी नहीं बताया गया है|

64th फिल्मफेयर अवॉर्ड नॉमिनेशंस: फिल्म को 11 नॉमिनेशंस मिले थे जैसे बेस्ट फिल्म, बेस्ट फिल्म (क्रिटिक्स), बेस्ट डायरेक्टर, बेस्ट एक्टर, बेस्ट एक्टर (क्रिटिक्स), बेस्ट एक्ट्रेस, बेस्ट एक्ट्रेस (क्रिटिक्स), बेस्ट स्क्रीनप्ले, बेस्ट एडिटिंग, बेस्ट साउंड डिजाइन, बेस्ट बैकग्राउंड स्कोर|और 5 अवार्ड जीतने में कामयाब रही बेस्ट एक्टर (क्रिटिक्स) आयुष्मान खुराना, बेस्ट फिल्म (क्रिटिक्स), बेस्ट स्क्रीनप्ले, बेस्ट एडिटिंग और बेस्ट बैकग्राउंड स्कोर

नेशनल अवार्ड: तीन नेशनल अवार्ड प्राप्त करने में कामयाब रही

बेस्ट हिंदी फिल्म, बेस्ट एक्टर आयुष्मान खुराना और बेस्ट एडेप्टेड स्क्रीनप्ले|

यह साल 2018 की चौथे नंबर की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली भारतीय मूवी है

भारत में यह तीन रीजनल भाषाओं में भी बनाई गई

मेस्ट्रो 2021 तेलुगू, भ्रम्म 2021 मलयालम और अंधगन 2024 तमिल

फिल्म फेस्टिवल: बांडुंग फिल्म फेस्टिवल इंडोनेशिया में दर्शायी गयी|

स्टारकास्ट: आयुष्मान खुराना, राधिका आप्टे, तब्बू, अनिल धवन, मानव विज, अश्विनी केलसेकर और जाकिर हुसैन

CBFC-U/A Movietime: 2h18m Genre: Suspense Crime Drama Backdrop: Pune Release: 5 October 2018

डायरेक्टर: श्रीराम राघवन, प्रोडूसर: केवल गर्ग, सुधांशु वत्स, संजय रॉउत्रे, अजित अंधारे, अशोक वासोदिआ, गौरव नंदा

साउंड डिज़ाइन: मधु अप्सरा, अजय कुमार पी बी कास्टूम डिज़ाइन: अनिता श्रॉफ अदजानिया, म्यूजिक: अमित त्रिवेदी

बैकग्राउंड स्कोर: डेनियल बी जॉर्ज, प्रोडक्शन डिज़ाइन: स्निग्धा पंकज, अनीता डोनाल्ड, एडिटर: पूजा लाढा सूरती

सिनेमेटोग्राफी: के यू मोहनन, कोरियोग्राफी: विजय गांगुली, लिरिक्स: जयदीप साहनी, गेस्ट कम्पोज़र्स: रफ़्तार, गिरीश नाकोड

स्टोरी स्क्रीनप्ले एंड डायलॉग्स: श्रीराम राघवन, अरिजीत बिस्वास, पूजा लाढा सूरती, योगेश चांदेकर, हेमंत एम राव, एक्शन: परवेज फजल खान

1 thought on “अंधाधुन फिल्म रिव्यु (2018)”

Leave a Comment

Please enable JavaScript in your browser to complete this form.
Share your thoughts about my content or service. Let me know what you liked or what could be improved.
Enter your valid email address.
Share any ideas or improvements you'd like to see.
Was this review helpful? Let us know by sharing your feedback!
error: Content is protected !!
[wpforms id="4070" title="false"]