
प्लॉट: यह फिल्म एक ऐसे माता-पिता की कहानी पर बनी है जो अपने बेटे को बाहर भेजने के लिए ब्याज पर 10 से 15 लाख रुपए लेते हैं ब्याज लेने वाला आदमी घर पर आता है और ब्याज ले जाता है वह एक बदमाश किस्म का आदमी है लेकिन एक दिन ऐसा क्या होता है कि वह गायब हो जाता है वह शादीशुदा और एक लड़की का पिता भी है| वह कहां और कैसे गायब हो गया? क्या वह मर गया या उसको मार दिया गया? जानने के लिए फिल्म को देखें
टोन और थीम: इस फिल्म की टोन सस्पेंस है, फिल्म की थीम मर्डर मिस्ट्री और पर आधारित है,
इस फिल्म का मकसद सिर्फ मनोरंजन करना और सस्पेंस को फिल्म में अंत तक बनाए रखना है
एक्टिंग एंड कैरक्टर्स: मिश्रा के रोल में संजय मिश्रा का अभिनय गंभीर किस्म का है, उन्होंने एक असहाय पिता का रोल बिना ज्यादा कुछ ना बोलकर सिर्फ चेहरे से अभिनय करके बहुत अच्छे से निभाया, वह अपने चेहरे पर पीड़ा और दुख के हाव-भाव कमाल के दिखा पाए| मंजू के रोल में नीना गुप्ता का अभिनय भी गंभीरता लिए हुए हैं उन्होंने भी अपने रोल को अलग हटकर निभाने का प्रयास किया है अपने बेटे को बाहर भेजने के लिए जो कुछ हो सकता था उन्होंने किया और पत्नी होने का धर्म बखूबी निभाया| शक्ति सिंह के रोल में मानव विज का अभिनय भी बहुत बढ़िया है, उनके अभिनय में भी सम्पूर्णता दिखाई देती है प्रजापति पांडे के रोल में सौरभ सचदेवा का भी अभिनय अच्छा है ज्यादा लंबा रोल नहीं है पर अच्छा है|
रिटेन एंड डायरेक्शन: इस फिल्म को जसपाल सिंह संधू ने निर्देशित किया है, यह उनकी पहली हिंदी फिल्म है ,इस फिल्म से पहले उन्होंने पंजाबी फिल्में बनाई है उनके साथ इस फिल्म में निर्देशन में राजीव बर्नवाल ने भी साथ दिया है यह फिल्म parallel cinema कैटेगरी की बनाई है, फिल्म की कहानी सस्पेंस से भरी हुई है उनका निर्देशन बहुत लाजवाब है, कहानी-पटकथा को अच्छे से लिखा गया है फिल्म की गति थोड़ी सी धीमी है, डायलॉग भी ठीक-ठाक लिखे गए हैं|
सिनेमैटोग्राफी: सपन नरूला की सिनेमैटोग्राफी भी अच्छी है, फिल्म के दृश्यों को अच्छे से फिल्माया गया है,
एरियल व्यूज के दृश्य भी अच्छे हैं|
एडिटिंग: भरत एस रावत का संपादन कमजोर है, धीमी गति की फिल्म है,
कुछ दृश्यों को खींचा गया है, फिल्म बीच में कहीं-कहीं पर बोर भी करती है|
साउंड डिजाइन: दिनेश उचिल का बहुत ही बढ़िया है|
बैकग्राउंड स्कोर: गुरुचरण सिंह का फिल्म के मूड के अकॉर्डिंग है, दिल को छू लेने वाला है|
प्रोडक्शन डिजाइन: तारिक उमर खान और नादिरी खान(सबा) का ठीक-ठाक है, पुराने घर के सेट्स अच्छे बनाए गए हैं|
कॉस्ट्यूम डिजाइन: दर्शन जालान और मनीष तिवारी ने अच्छे बनाए हैं फिल्म के पात्रों के अनुसार फिट बैठते हैं|
क्लाइमैक्स: सस्पेंस और मिस्ट्री से भरा हुआ है
ओपिनियन: वन टाइम वॉच| जो सस्पेंस और मिस्ट्री फिल्में देखने के शौकीन है वे एक बार फिल्म देख सकते है
Flaws: शुरू की 35 से 40 मिनट की फिल्म में कहानी किसी मुकाम पर नहीं पहुंच पाती, एक आदमी का इतनी बर्बरता से मर्डर किया जाता है पर पुलिस को कोई सबूत नहीं जुटा पाती, समाज को हम क्या मैसेज दे रहे हैं कि इतनी छोटी बात पर किसी का मर्डर कर दो और सारे सबूत मिटा दो| लोग यह सब देखकर क्या सीखेंगे एक छोटी सी बात के लिए आप किसी का मर्डर कैसे कर सकते हैं, जिस बेटे के लिए ब्याज पर कर्ज लिया उस बेटे के बारे में फिल्म में बताया ही नहीं गया कि बेटा मां-बाप की क्या मदद कर रहा है या नहीं कर रहा है, इसका के बारे में फिल्म में कुछ नहीं बताया गया|
सोशल मैसेज: मां-बाप अपने बच्चों के लिए कुछ भी करके उसकी सभी इच्छाएं पूरी करते हैं,
पर बच्चे सब कुछ एक पल में भूल जाते हैं, जिस के लिए उन्होंने 25 लाख का कर्ज लिया वही धोखेबाज निकला|
फिल्म में एक एडल्ट दृश्य भी है जिसकी वजह से बच्चे अपने मां-बाप के साथ फिल्म देखने नहीं जा पाएंगे|
68th फिल्म फेयर अवॉर्ड नॉमिनेशंस: फिल्म को बेस्ट एक्टर,एक्ट्रेस,फिल्म (क्रिटिक्स),बेस्ट डेब्यू डायरेक्टर, बेस्ट स्टोरी और स्क्रीनप्ले के नॉमिनेशंस मिले थे,
जिसमें से दो अवार्ड जीतने में कामयाब रही बेस्ट एक्टर क्रिटिक्स संजय मिश्रा, बेस्ट डेब्यू डायरेक्टर जसपाल सिंह संधू|
CBFC-A Movietime-1h.50m Genre-Suspense Thriller Backdrop-Gwalior Release-2022
फ़िल्मकास्ट: संजय मिश्रा, नीना गुप्ता, मानव विज,और सौरभ सचदेवा|
प्रोडूसर: लव रंजन, अंकुर गर्ग, नीरज रुहिल, सुभाव शर्मा, निम्फ़ेआ सराफ संधू, डायरेक्टर: जसपाल सिंह संधू, राजीव बर्नवाल, कास्टिंग: नरेन बंसल, साउंड डिज़ाइन: दिनेश उचिल, कास्टूम डिज़ाइन: दर्शन जालान, मनीष तिवारी, बैकग्राउंड स्कोर: गुरचरण सिंह, प्रोडक्शन डिज़ाइन: तारिक़ उमर खान, नादिरी खान(सबा), एडिटर: भारत एस रावत, सिनेमेटोग्राफी: सपन नरूला
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