बदला: द फिल्म रिव्यु

Reading Time: 4 minutes
बदला फिल्म में अमिताभ बच्चन और तापसी पन्नू
बदला फिल्म में अमिताभ बच्चन और तापसी पन्नू

प्लॉट: यह फिल्म एक ऐसी स्त्री की कहानी पर बनाई गई है जो शादीशुदा है और जिस पर अपने बॉयफ्रेंड के कत्ल का इल्जाम है और वह जमानत पर बाहर है क्या यह कत्ल उसी ने किया है? अगर उसने नहीं किया तो किसने किया है? क्या वह कत्ल के इल्जाम से बच पाएगी और खुद को निर्दोष साबित कर पाएगी? क्या उसका पति उसके पास वापस आ जाएगा? इन सभी सवालों के जवाबों को जानने के लिए आपको फिल्म देखनी पड़ेगी|

टोन और थीम: फिल्म की टोन थ्रिलर है और थीम सस्पेंस और क्राइम है इसको बनाने का उद्देश्य सिर्फ मनोरंजन करना है और यह पता लगाना है कि कत्ल किसने किया? क्यों किया? और उसे कत्ल करके क्या मिला?

एक्टिंग एंड कैरक्टर्स: नैना की भूमिका में तापसी पन्नू ने कमाल का अभिनय किया है तापसी पन्नू एक नकारात्मक भूमिका निभाते हुए नज़र आई और उन्होंने इस भूमिका में अपनी पूरी जान फूंक दी है शुरू से लेकर अंत तक पूरी फिल्म में तापसी पन्नू ही छाई हुई है बादल गुप्ता की भूमिका में अमिताभ बच्चन का तो जवाब ही नहीं है एक वकील की भूमिका में उन्होंने शानदार अभिनय किया है किस तरह से सवालों के जवाबो को ढूंढना हैं और किस तरह से सच उगलवाना है उन्होंने बखूबी इस भूमिका में साबित किया है रानी कौर की भूमिका में अमृता सिंह बहुत दिनों के बाद परदे पर दिखाई दी और फिल्मों में वापसी भी की तो एक अच्छी भूमिका और अभिनय के साथ| उन्होंने भी अच्छा अभिनय किया है खोये हुए बेटे की तलाश में वह अपने चेहरे पर मां की पीड़ा को बहुत अच्छे से पर्दे पर प्रदर्शित कर पाई| सभी अपनी-2 भूमिकाओं की असलियत पर्दे पर दिखाने में खरे उतरेऔर कुछ हद तक कामयाब रहे| कुछ भी नाटकीय प्रतीत नहीं होता|

डायरेक्शन: निर्देशक सुजॉय घोष इससे पहले बहुत सारी फिल्में निर्देशित कर चुके है जैसे झनकार बीट्स(2003), होम डिलीवरी(2005), अलादीन(2009), कहानी(2012), और कहानी2(2016) और रितिक रोशन की बैंग बैंग(2014) को लिख चुके है इसके आलावा वह शॉर्ट फिल्में जैसे अहल्या(2015), अनुकूल(2017) और गुड लक(2018) बना चुके है| इनको कहानी(2012) फिल्म के लिए बेस्ट ओरिजिनल स्क्रीनप्ले का राष्ट्रीय पुरुस्कार भी मिल चुका है| ये सभी फिल्में विषय को लेकर या फिर सफलता को लेकर या फिर critically aclaimed को लेकर चर्चा में रही| अब वह बदला लेकर आए है अगर उनके निर्देशन की बात की जाए तो उनकी पिछली फिल्मों के जैसा ही है पर फिल्म में इतने रहस्य हैं कि फिल्म लंबी होने के बावजूद कहीं से भी लंबी नहीं लगती और बोर भी नहीं करती| दर्शक अपनी सीट से अंत तक बंधा रहता है फिल्म में एक के बाद एक रहस्य खुलते रहते हैं|

कहानी-पटकथा-डायलॉग्स: सुजॉय घोष ने फिल्म की कहानी और पटकथा को कुछ ज्यादा ही जटिल बना दिया है| उनका कहानी को बताने का तरीका यूनिक है| एक जटिल कहानी को बहुत ही अच्छे ढंग से फिल्माया है डायलॉग भी बहुत ही बढ़िया से लिखे गए हैं और सभी पात्रों से पूरी तरह से sync करते हुए नजर आते हैं| सभी पात्रों को बहुत ही अच्छी तरह से लिखा गया हैं|

सिनेमैटोग्राफी: अविक मुखोपाध्याय की सिनेमेटोग्राफी बहुत ही लाजवाब है, अलग-2 दृश्यों में उन्होंने अलग-2 कैमरा फ्रेम्स और एंगल्स का अच्छे से इस्तेमाल किया हैं, जो यह उनकी फोटोग्राफी में नजर आता है उनके फिल्माए सस्पेंस सीन्स हो या फिर मर्डर सीन्स हो या एक्सीडेंट वाला सीन हो, सभी सीन्स अलग से नज़र आते है|

बैकग्राउंड स्कोर: क्लिंटन सिराजो का बैकग्राउंड स्कोर फिल्म की थीम और टोन के साथ बहुत ही अच्छे से ढंग से sync मैच करता है|

प्रोडक्शन डिजाइन: कौशिक दास, सुब्रत बारिक, पॉल रोवन का घर के सेट्स बहुत अच्छे से बन पड़े हैं

फिल्म की कहानी और थीम के साथ पूरी तरह से मैच करते हैं

एडिटिंग: मनीषा आर बड़वाना की एडिटिंग बहुत बढ़िया और फिल्म फ्लो भी ठीक है

दृश्यों के बीच बहुत ही अच्छी तरह से मिलान किया गया है फिल्म की गति तेज है|

कास्टूम डिज़ाइन: कहानी और थीम के हिसाब से दीपिका लाल और अनिरुद्ध सिंह ने अच्छे डिज़ाइन किये है|

एक्शन: शाम कौशल के एक्शन ठीक है और वैसे भी एक्शन का इतना स्कोप भी नहीं था|

विज़ुअल इफेक्ट्स: रेड चिल्लीज VFX के बहुत ही शानदार और दमदार है|

क्लाइमेक्स: फिल्म का अंत तो चौकाने वाला है यकीन ही नहीं होता कि इतना जानदार अंत हो सकता है|

ओपिनियन: अच्छे बैकग्राउंड स्कोर, साउंड डिज़ाइन और सस्पेंस के लिए फिल्म देख सकते है|

रेटिंग: 7/10

Flaws: जिस होटल में नैना का बॉयफ्रेंड कमरा किराए पर लेता है उसी होटल में रानी कौर का हस्बैंड जॉब कैसे करता है यह कैसे संभव है यह समझ से परे हैं, फिल्म में गीत नहीं है और जरुरत भी नहीं थी गीत डालने की|

लोकप्रिय डायलॉग: सबका सच अलग अलग होता है,

वह मूर्ख होता है जो सिर्फ सच को ही जानता है

और सच और झूठ के फर्क को नहीं जानता है|

65th फ़िल्मफ़ेयर अवॉर्ड नॉमिनेशंस: इस फिल्म को चार नॉमिनेशंस मिले है बेस्ट साउंड डिजाइन, बेस्ट बैकग्राउंड स्कोर, बेस्ट सपोर्टिंग एक्ट्रेस और बेस्ट एडिटिंग पर फिल्म एक भी अवार्ड जीतने में कामयाब नहीं हो सकी

मैसेज: फिल्म हमें एक सीख भी देती है कि ओवर स्मार्ट मत बनो

गलत काम का गलत नतीजा ही होता है

यह स्पेनिश फिल्म द इनविजिबल गेस्ट पर आधारित है जो 2016 में रिलीज़ हुई थी जिसको ओरिओल पाउलो ने निर्देशित किया था|

CBFC-U/A Movietime: 1h58m Genre: Suspense Thriller Backdrop: london Release: 8 March, 2019

फिल्म कास्ट: अमिताभ बच्चन, तापसी पन्नू, अमृता सिंह, मानव कॉल(विशेष भूमिका) और टोनी ल्यूक

प्रोडूसर: गौरी खान, सुनीर खेत्रपाल, अक्षय पुरी, डायरेक्टर: सुजॉय घोष, साउंड डिज़ाइन: अनिर्बन सेनगुप्ता

कास्टूम डिज़ाइन: दीपिका लाल, अनिरुद्ध सिंह, म्यूजिक: क्लिंटन सिराजो, अमाल मलिक, अनुपम रॉय

लिरिक्स: कुमार, ए. एम. तुराज़, अनुपम रॉय, मनोज यादव, सिद्धांत कौशल, बैकग्राउंड स्कोर: क्लिंटन सिराजो

प्रोडक्शन डिज़ाइन: कौशिक दास, सुब्रत बारिक, पॉल रोवन, एडिटर: मनीषा आर बड़वाना

सिनेमेटोग्राफी: अविक मुखोपाध्याय, डायलॉग्स: सुजॉय घोष, राज वसंत स्टोरीस्क्रीनप्ले: सुजॉय घोष,

डायरेक्टर: सुजॉय घोष, एक्शन: शाम कौशल, विजुअल इफैक्ट्स: रेड चिलीज VFX

1 thought on “बदला: द फिल्म रिव्यु”

Leave a Comment

Please enable JavaScript in your browser to complete this form.
Share your thoughts about my content or service. Let me know what you liked or what could be improved.
Enter your valid email address.
Share any ideas or improvements you'd like to see.
Was this review helpful? Let us know by sharing your feedback!
error: Content is protected !!
[wpforms id="4070" title="false"]